Wednesday, March 7, 2018

नारी! तुम अमर कहानी हो!!



नारी! तुम अमर कहानी हो!!
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जो समझो तो कविता हो
जो बूझो अमर कहानी हो
नारी तुम त्याग समर्पण
करे बलिदान जवानी हो।

नारी!तुम श्रद्धा समर्पण जीवन
सृष्टि जीवन गढ़ती कहानी हो।
आँचल में दूध आंखों में पानी
सृष्टि जीवन की तुम कहानी हो

नारी! तुम अब नही रही अबला
समानता युग की तुम सबला हो।
नही कमजोर तुम, नही तू अबला
नवनिर्माण की अबतुम निशानी हो।

कभी बेटी ,कभी बहना ,माँ, कभी
बनती तुम पत्नी प्रेम दीवानी हो।
कभी लक्ष्मी,काली,कभी शारदा
दुर्गा,सती, बनती कभी भवानी हो।

नारी ! तूम तन मन करती अर्पण
करती त्याग बलिदान जवानी हो
नौ माह प्रसव वेदना सहता तन
सृष्टि गढ़ती तुम अमर कहानी हो।

कभी सबरी,कभी सीता ,कभी
राधा, कभी मीरा प्रेम दीवानी हो
महाभारत रचती द्रौपदी, कभी
 हर युग की लिखती कहानी हो।

यत्र नार्यस्तु पूज्यंते ,रमन्ते तत्र
देवता रचती श्लोक पुराणी हो
नारी! तुम केवल श्रद्धा-समर्पण
सृष्टि सृजन की अमर कहानी हो।

©पंकज प्रियम
8.3.2018

#विश्व महिला दिवस©प्रियम

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