Saturday, January 28, 2012

झारखंड के नेता और हिन्दी भाषा की.....नाकासाकी।


...... पंकज भूषण पाठक,"प्रियम"
अगर आप झारखंड के किसी बड़े नेता और मंत्री भाषण सुन रहे हो तो हिन्दी व्याकरण को थोड़ा साइड कर ले.आपको उनके हर लफ्ज मे हिन्दी के नए प्रयोग देखने को मिलेगा.हरबार एक नए शब्द से रु-ब-रु होना पड़ेगा.सुनकर थोड़ा अटपटा तो जरूर लगेगा लेकिन बस उनकी भावनाओ को समझ के समझ लेना ही बेहतर होगा। बात सबसे पहले सूबे के मुखिया सीएम साहेब की कर लेते है.आजकल उन्होने अपनी भस को कुछ ज्यादा ही ग्लोबलाइज कर रखा है.हर एक शब्द के बाद अंग्रेजी का समावेश और वैश्विक ज्ञान की चटनी जरूर मिल जाएगी.भाषण चाहे मेले के मंच से हो या फिर बड़ा सेमीनार कुछ शब्दो का दुहराव जरूर होता है.मसलन ह्यूमेनडेवलपमेंट इंडेक्स ,ग्लोबलाइज़ेशन ,चाइना बाजार,होलिस्टिक एप्रोच बगेरा-बगेरा ..और हाँ उनकी "जोजना" तो कमाल ढाती है.उनका हर विभाग जोजनाओ पे बहुत तेजी से काम करता है....।
अब बात छोटे सीएम साहेब की .......उनका तो सबकुछ राज्य की "जनताओं" और "प्रजाओं" मे ही टीका है.हर बात पे वो निश्चित तौर पे जरूर प्रयोग मे लाते है.चुनाव जीत कर भाग्य खुला और सीधे डिप्टी सीएम बन गए .सोचा राज्य का विकास करना है तो बड़े स्तर पर काम होना चाहिए सो हर शब्द का बहुवचन बनाने मे जुट गए ...।
सूबे के अधिकांश नेता हिन्दी को अपने ही ढंग से बोलते हैं.क्षेत्र को "क्षेतर"तो लगभग सारे नेता बोलते हैं.दरअसल झारखंड अलग राज्य बनने के बाद जीतने भी बड़े पद पर नेता आए उन्होने अपनी सारी मेहनत लक्ष्मी को पाने मे लगा दी .सरस्वती से तो कोई वास्ता था नही सत्ता मे आने के बाद उसकी जरूरत भी महसूस नही की.सो बोली और भाषा के साथ ही उनके ज्ञान का दर्शन भी बखूबी हो जाता है। खैर यहाँ किसी की खिल्ली उड़ना हमारा मकसद नही है .माँ सरस्वती की आराधना के दिन हम बस यही प्रार्थना करते है की हे माँ इन्हे सद्बुद्धि दो.....।
पंकज भूषण पाठक,"प्रियम"