Wednesday, November 24, 2010

ग़जल --पूछ बैठे

ग़जल --
जरुरत थी उन्हें ,तो मिलते थे बार-बार
मिलने जो गये अबकी, वो काम पूछ बैठे ।
मेरे नाम के सिवा कुछ और अजीज न था
मिले जो दोस्तों के बीच, मेरा नाम पूछ बैठे ।
मेरे हर फुल को जां से अधिक करते थे प्यार
तोहफा जो दिए उनको ,तो उसका दाम पूछ बैठे ।
उनकी एक मुस्कराहट को होता मै बेक़रार
वो हैं की मेरी खुशिया ही नीलाम कर बैठे ।
उनकी जफ़ाओ पर भी था मुझे ऐतबार
वो हैं की मेरी वफाई को ही बदनाम कर बैठे ।
पंकज भूषण पाठक "प्रियम "

1 comment:

NITU THAKUR said...

वाह वाह बहुत खूब